आज कई परिवार एक या दू लड़की ले संतुस्ट हावय अउ अपन लड़की ल इंजीनियर डाक्टर बनाये के सोचत हे। पिछड़ा समाज घलो ये विचार ल स्वीकारत अपन बेटी मन ल पढ़ावत हावय।
आज के जुग ह बिज्ञान के जुग आय। आज बिज्ञान के सहारा ले मनखे ह कहां ले कहां पहुंच गे हे। जम्मो जिनिस के बिमारी ल जाने बर कतको किसम के नवां-नवां उपकरन के ईजाद होय हे। मनखे ह मंगल अऊ चंद्र ग्रह म जाके बिज्ञान के महत्व ल उजागर करत हे। कंपुटर अऊ मोबाईल युग ह कतको दुरिहा के मनखे मन ल तीर-तीर म ला दे हे। वईसनेच किसम के एक ठन जिनिस के ईजाद होईस। डॉक्टरी छेत्र म ईजाद होय ये उपकरन ह महतारी के कोख भितरी के अंश ल बता देथे के ये हा नोनी हरय के बाबू। माने ये उपकरन ह गर्भवती माता मन के कोख ल पढ़ के बता देखय क कोख म जऊन जीव ह पलत हे वो ह लड़की हरे ते लड़का। आज ले पचीस तीस बछर पहिली ये जिनीस ह मनखे समाज म अईस। अऊ मनखे मन के बुध्दि ल नीचो के रख दीस। पढ़े लिखे अऊ सभ्य समाज ल डॉक्टरी क्षेत्र ह ये संदेश दे दीस कि गर्भवती महिला मन के आधासीसी के दरमियान स्वास्थ्य परीक्षन करवावव अऊ संगे-संग यहु जानव के अवईया तुंहर लईका ह नोनी हरे ते बाबू। अऊ एक ढन बात अऊ हे। गरभ म कोनो नोनी हे अऊ दाई ददा ल नोनी के सउख नई हे त ओला कोख के भितरिच म मरवा डरव। नोनी ल जनम ले के ये संसार म झन आवन दव। इही ल किथे ‘कन्या भू्रण हत्या’। पढ़े लिखे मनखे मन ल ये उदीम ह जंच गे। अऊ लड़की ले छुटकारा पाय खातिर भड़ाभड़ लिंग परीक्छन कराय ल धर लिन अऊ लड़की भ्रून ल नस्ट करवा दिन। वईसे तो मानव समाज ह सदियों पहिली ले घर म नोनी के जनम होवई ल अपन करम के दोख मानय। अऊ जनम ले के बाद घलो लड़की ल हेय दृस्टि ले देखय। बाप ह तो अपन बेटी ल कभू पावय पोटारय तको नहीं। पढ़ाई लिखाई तो बहुत दूर के बात राहय। पढ़ाय लिखाय बर लड़की अऊ लड़का म भेद करय। हर बाप के ईही उम्मीद राहय कि लड़का ह अपन दाई ददा के बुढ़तकाल म सेवा करही। लड़की ह का करही ससुरार म जाही तिहां चुल्हाच तो फूंकही। त लड़की ल पढ़ाय म का फायदा। मनखे मन के ये दकियानुसी विचार ह महिला वर्ग मन के ऊपर अमानवीय अऊ अभद्र अत्याचार सहे के कारन बनिस। समाज ह उन्नति करत गिस अऊ लड़का ल अपन पीढ़ी के कर्णधार समझत गिस। लड़की ल फालतू अऊ खर्चीला जिनिस समझिस अऊ भड़ाभड़ लड़की मन ल मां के कोख म मरवात गिस येकर परिनाम ह अब देखे बर मिलत हे। हर पढ़े लिखे समाज म लड़की के कमी देखे जाथे। आज के समे म स्थिति म बहुत बदलाव आ गे हे। हरसमाज म पढ़े लिखे अऊ बाढ़े बेटा बर बहु नई मिलत हे। लड़की अऊ लड़का के अनुपात म बहुत अंतर आ गे हे। सौ लड़का के पाछू मात्र सत्तर-पचहत्तर लड़की समाज म बच गे हे। अइसे मे अपन वंस ल आगू बढ़ाय बर सौ के सौ लड़का ल मनवांछित लड़की मिलना मुस्किल हे। एक जमाना पहिली रिहिस जब लड़की बर दमाद खोजत बाप के नवां भंदई खिया जय। दू तीन साल ले गांव-गांव दर-दर भटके के बाद कोनो लड़का मिलिच जय त दहेज अऊ जोरन ह बाप के कनिहा ल टोर डरय। ओखरे सेती लड़की ल खर्चीला अऊ अपन मुड़ के बोझा समझय। फेर सबो दिन ह एके बरोबर नई राहय। समाज ह साक्छर होवत गिस। जुन्ना बिचार ल तियाग के दाई ददा ह लड़का के संगे-संग लड़की ल घलो महत्व दिन, पढ़इन, लिखइन। लड़की मन पढ़-लिखके साक्छर अऊ सबल होवत गिन। आज जम्मो समाज के लड़की मन पढ़ लिख के नानमुन नौकरी जरूरत करत हे। अऊ लड़का मन ले दु-चार करे बर तियार हे। आज हम दु-तीन बछर ले देखत आथन जेखर घर लड़की हे ओ बाप ह छाती फुलाय अउ मेछा अंटियाय घुमत हे अऊ लड़का वाला मन कुकुर कोलिहा बरोबर गांव-गांव घिरलत हे। लड़का ल बने पढ़ा-लिखा डरे हस अऊ लड़की ह पढ़ाय बर भेद करेस। त तोर लड़का बर मनमाफिक बहुत पथरा ले मिलही। आज हमर समाज में लड़का वाला कतेक घुमत हे फेर मन माफिक जुग जोड़ी नई मिलत हे। त खिसिया के काहत हे लड़की वाले मन के भाव बाढ़गे हे। काबर नई बाड़ही भाव ह गा। पहिली तो लड़की वाले मन ला तीन आंसू रोवय हव। अब तहूं मन रोवव तीन आंसू। समाज ल अऊ घर ल संतुलन बनाय रखे बर नोनी अऊ बाबू दूनो के जरूरत हे। नोनी बाबू दूनो ल ये दुनिया म आवन दव। नोनी बाबू म भेद मत करव। दूनो ल पढ़ावव लिखावव। लिंग परीक्षन त तियाग दव लिंग परीक्षन के सुझाव देवईया ल खड़े-खड़े उही जगा दू तमाचा मारव अऊ ओला ओखर औकात देखा दव।
कुरमी, तेली नाऊ, लोहार, राउत, कोस्टा, अऊ कुम्हार।
कांहि होवय मानुस के जात नोनी बाबू ल दव एक दुलार॥
नोनी ल बोझहा मानव झन,
कोख म नोनी ल मारव झन
धरती मईया के संतुलन ल बिगाड़व झन।
ईही हावय मोर पुकार, नोनी ल देवव भरपूर दुलार॥
भोजराम वर्मा
मोतीनगर बोरिया रोड
रायपुर